हिंदू-मुस्लिम विवाद कम करने का लक्ष्य, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच तेज करेगा अभियान
नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष में देश में हिंदू-मुस्लिम जैसे धार्मिक विवाद को कम करने का लक्ष्य भी तय किया गया है. संघ का यह निर्णय देश की बदलती परिस्थितियों और सामाजिक सद्भाव के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रणनीतिक माना जा रहा है. यह युद्धों व संरक्षणवादी आर्थिकी निर्णयों से बदलते वैश्विक माहौल में देश के सर्वांगीण विकास के लिए भी जरूरी माना जा रहा है.
बैठक में सर्वसम्मति से यह स्वीकार किया गया कि देश को आर्थिक प्रगति व स्थिरता देने के लिए जरूरी है कि आपसी मतभेद खत्म हो और हिंदू-मुस्लिम मिलकर आगे बढ़ें. यह भी तय किया गया कि मुस्लिम समाज से संवादों का यह सिलसिला RSS की करीबी संगठन “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” (एमआरएम) की ओर से तेज किया जाएगा. आगामी दो माह में दिल्ली में एक बड़े मुस्लिम सम्मेलन के साथ ही देशभर में जिला स्तर पर मुस्लिम बौद्धिक बैठकों का आयोजन होगा. जिसमें संघ पदाधिकारी भी शामिल हो सकते हैं.
इसी तरह, RSS के शताब्दी वर्ष में संघ द्वारा लक्षित करीब 20 करोड़ घरों में गृह संपर्क में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में यह जिम्मा एमआरएम उठाएगी. यह निर्णय गुरुवार को हरियाणा भवन में सरसंघचालक माननीय डॉ. मोहन भागवत जी की एमआरएम के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसमें RSS के सह सरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल व एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार भी प्रमुख रूप सेउपस्थित थे. चर्चा का मुख्य विषय था, देश की प्रगति की दिशा में कैसे हिंदू मुस्लिम समाज की दूरियां कम हो? कैसे एक भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जाए?
बैठक में एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक, प्रकोष्ठों व प्रांत संयोजक मिलाकर 40 से अधिक लोग शामिल थे. सूत्रों के अनुसार, बैठक में RSS प्रमुख की ओर से मुस्लिम समाज के आर्थिकी व शैक्षणिक विकास के प्रयासों पर जोर देने का निर्णय लिया गया, जिससे वह समाज की मुख्य धारा में आ पाएं.