हिंडनबर्ग

हिंडनबर्ग ने अब सेबी प्रमुख को ललकारा 

देश बिजनेस
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नई दिल्ली : अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के साथ बाजार नियामक संस्था सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच को भी लपेटा है. उसने उन्हें ललकारा है. उसने  पूछा है कि क्या वह अपने परामर्श ग्राहकों की पूरी सूची तथा सिंगापुर की परामर्श कंपनी, भारतीय परामर्श कंपनी और किसी अन्य संस्था के जरिये किए गए अनुबंधों का विवरण सार्वजनिक करेंगी, जिसमें उनका या उनके पति का हित हो सकता है?”

हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन ने अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा व मॉरीशस फंड संरचना में अपने निवेश की पुष्टि की है. उसने कहा कि उन्हें अपने सभी परामर्श ग्राहकों के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए, जिनके साथ उनकी सिंगापुर और भारतीय परामर्श कंपनियों ने काम किया है. इससे देश के निवेशकों को सही जानकारी मिलेगी और लोगों को भी पता चलेगा कि वहां क्या-क्या हुआ है.

बुच और उनके पति द्वारा हिंडेनबर्ग के नवीनतम हमले को सेबी की विश्वसनीयता पर हमला और ‘‘चरित्र हनन” का प्रयास बताते हुए बयान जारी किया था. लेकिन उसके के कुछ घंटों बाद हिंडनबर्ग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कई पोस्ट किए और कहा कि दंपत्ति के बयान में कई महत्वपूर्ण बातों को स्वीकार किया गया और कहा कि इससे कई महत्वपूर्ण प्रश्न भी खड़े होते हैं.

शोध एवं कंपनी ने कहा, ‘‘ बुच के जवाब से अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा व मॉरीशस के एक अस्पष्ट कोष में उनके निवेश की पुष्टि हो गई है, साथ ही विनोद अदाणी द्वारा कथित रूप से गबन किया गया पैसा भी. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि कोष उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अदाणी के निदेशक थे.”

हिंडनबर्ग ने पूछा, ‘‘ बुच के बयान में पूर्ण पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता का वादा किया गया है. इसे देखते हुए क्या वह परामर्श ग्राहकों की पूरी सूची तथा सिंगापुर की परामर्श कंपनी, भारतीय परामर्श कंपनी और किसी अन्य संस्था के जरिए किए गए अनुबंधों का विवरण सार्वजनिक करेंगी, जिसमें उनका या उनके पति का हित हो सकता है?”

शोध एवं निवेश कंपनी ने कहा, ‘‘ अंततः, क्या सेबी चेयरपर्सन इन मुद्दों की पूर्ण, पारदर्शी तथा सार्वजनिक जांच के लिए प्रतिबद्धता दिखाएंगी ?” देश में बन रहे माहौल को लेकर सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर दबाव बढ़ने लगा है और माना जा रहा है कि उनको उन तमाम जानकारियों को साझा करना पड़ सकता है, जिनको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत की राजनीति में घमासान मचा दिया है. जहां एक नई रिपोर्ट पर भारत की राजनीतिक पार्टियों में विवाद शुरू हो गया है. विपक्ष इस नई रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साध रहा है तो वहीं बीजेपी भी विपक्ष के तंज पर बराबर रूप से पलटवार कर रही है.

कल यानी शनिवार 10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने पहले तो एक ट्वीट कर तहलका मचाया कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है. इसके बाद हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर आरोप लगाया कि व्हिसल ब्लोअर से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच की अडानी धन घोटाले में इस्तेमाल की गई अपतटीय संस्थाओं में हिस्सेदारी थी. हालांकि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार सुबह एक बयान जारी कर हिंडनबर्ग के साारे आरोप को खारिज कर दिया.

हिंडनबर्ग के आरोप के बाद सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार की सुबह एक बयान जारी कर पूरी तरह से इस आरोप का खंडन कर दिया था. उन्होंने कहा कि 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप निराधार हैं और उनमें कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है. हमें जो भी जानकारी देनी थी, वह सारी जानकारी पिछले सालों में सेबी को दे दी गई है.

चलिए, अब आपको हिंडनबर्ग के आरोप के बारे में बताते हैं- शनिवार यानी 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के पास अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. इसके साथ ही हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने नए रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया कि 2023 में अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की.

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